लेखनी प्रतियोगिता -02-Jan-2023
वक्त कुछ कम
वक्त कुछ कम था और जिंदगी कुछ
ज्यादा की परवाह में बर्बाद होने को
मुस्कुरा रही है, कैसे कहूं उससे अब
तेरे एहसास में हम भी रोना भूल गए है।
वक्त कुछ कम था यह देख हम भी
अब आंसू बहाने को खड़े थे, सोचों
ज़रा तुम मेरी खुशी में बर्बाद हो रहें हो।
वक्त कुछ कम था जब मैंने मुड़कर फिर
उसका हाथ थाम कर चलने को कदमों को
राह दिखाई तब मैंने वक्त को बदला हुआ पाया।
राखी सरोज
Varsha_Upadhyay
03-Jan-2023 07:20 PM
शानदार
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RAKHI Saroj
03-Jan-2023 08:35 PM
धन्यवाद
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Muskan khan
03-Jan-2023 07:14 PM
Nice
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RAKHI Saroj
03-Jan-2023 08:35 PM
धन्यवाद
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Gunjan Kamal
03-Jan-2023 09:11 AM
शानदार
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RAKHI Saroj
03-Jan-2023 08:35 PM
धन्यवाद
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